गुरुवार, मई 1

राजनीतिक दलो का महंगाई पर विलाप

इन दिनो भाजपा वालो को महंगाई के रास्ते सत्ता की कुर्सी के दर्शन हो रहे है और गलत भी क्या है यह तो राजनीति है जब वे सत्ता मे रहते है और महंगाई बढती है तो अन्य दल सत्ता प्राप्ति के लिये महंगाई को हथियार समझते है अब तो लगता है कि महंगाई ही इस देश मे सत्ता परिवर्तन के लिये राजनैतिक दलो को के लिये एक मात्र मुद्दा रह गयी है। भाजपा वालो के लिये तो मानो महंगाई साक्षात भगवान के आशीर्वाद के रुप मे प्राप्त हो गयी है और हो भी क्यो नही जब एक प्याज मात्र उन्हे सत्ता से उतार सकता है तो यहां तो सब कुछ है, इस मे कोई दो मत नही की महंगाइ आज हर घर के लिये एक विकराल समस्या बन गयी है परन्तु इस के लिये जिम्मेदार कौन है और सरकार को सभी संभव कदन शीघ्र उठाने चाहिये चुंकि हमारे वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री दोनो अर्थशास्त्र के ज्ञाता है अत: यह उम्मीद की जा सकती है कि महंगाई पर काबु पाने के लिये शीघ्र ही परिणाम मुलक कदम उठाये जायेगें. आवश्यक वस्तुओ के वायदा कारोबार पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की जा रही है, आयात को बढावा और निर्यात को हत्तोसाहित करने के लिये आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता बतायी जा रही है। चहे जैसे भी हो महंगाई को तो नियत्रित करना ही होगा। बढती महंगाई को मुद्दा बनाकर राजनीति करना भाजपा या अन्य दलो की अपनी मजबुरी हो सकती है है पर इससे निपटने के लिये जो किया जा सकता है इस संबंध मे सुझाव देने का प्रयास कोई नही करता माना कि अर्थशास्त्र के विशेषज्ञो के समक्ष ये कितने टिक पायेंगे यह तो वे ही जाने पर जन हित मे अगर ऎसा किया जाये तो एक अच्छा संदेश अवश्य जायेगा, पर राजनीतिक दलो को इन संदेशो से क्या मतलब मेरा किसी एक दल से नही है यहा हर दल का यही हाल है, क्योकि हमाम मे सभी.......।

मंगलवार, जनवरी 1

कांग्रेस तथा भाजपा के लिये हिमाचल, गुजरात के बाद आगे क्या? भारतीय राजनीति की दिशा क्या होगी ? आपके बहुमुल्य विचार पोस्ट करे.